आत्मानंद स्कूल में बिना पढ़ाई अर्धवार्षिक परीक्षा, शिक्षको की कमी से प्रभावित हो रही है पढ़ाई।
आत्मानंद स्कूल में बिना पढ़ाई अर्धवार्षिक परीक्षा, शिक्षको की कमी से प्रभावित हो रही है पढ़ाई।
. Editor in chife – Dipesh jangde
. (Tn) Today News24 network chhattisgarh
कवर्धा : एडिटर इन चिफ – दीपेश जांगड़े मो. 8103271374
कवर्धा – एक तरफ पूरे प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूल खोले जाने की ढिंढोरा पिटा जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर शिक्षा की गुड़वाता शिक्षक नही होने का दन्स अध्ययनरत छात्रों को झेलना पड़ रहा है। यह कोई कहानी नही, कवर्धा भोजली तालाब के पास माध्यमिक विद्यालय कि सच्चाई जानने के लिए देखा जा सकता है।
इधर जहां बोड़ला स्वामी आत्मानंद स्कूल में भी शिक्षकों की कमी देखने को मिल रहा है।. आखिर जिला शिक्षा अधिकारी व शासन प्रसाशन को स्कूलों , बच्चों की समस्या क्यू नहीं दिख रहीं हैं।. जिला शिक्षा अधिकारी सचेत .।
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की कमी को क्ष देखते हुए गरीबों के बच्चे जो प्राइवेट स्कूलों में बड़ी फीस देकर अध्ययन कराने से वंचित रह जाते थे, सपना साकार नही हो पाता था, उस कमी को दूर करने के लिए प्रदेश भर में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने को लेकर स्वामी आत्मानंद स्कूल खोला है। इस स्कूल की बड़ी प्रचार प्रसार हुई प्रभावित हो छोटे बड़े अधिकारी कर्मचारी गरीब अमीर सभी ने अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूल से निकलकर सरकारी स्कूल में पढ़ाने का निर्णय ले दाखिला लिया है। सरकारी स्कूल को प्राईवेट स्कूल की तरह बाहरी आवरण को रंगरोगन कर नया आकर देने का प्रयास किया गया है। कुछ शिक्षक भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने वालों की व्यवस्था की गई है। किन्तु विद्यालय में गुड़वत्ता युक्त शिक्षा नही मिलने के कारण बच्चे और पालक हैरान परेशान है। यंहा विद्यालय की हालत देखकर लगता है की ढाक के तीन पात वाली कहावत चरिथार्थ होने जा रही है। कमोवेश अधिकांश स्कूलों की हालात एक जैसी है। कवर्धा में भोजली तालाब के पास स्वामी आत्मानंद स्कूल खोला गया है, वहां मिडिल स्कूल कक्षा 6,7,8 में अध्ययनरत छात्रों की संख्या 199 बतायी गई है। शिक्षक भी 5 है जानकारी लेने पर कुछ शिक्षक की कमी तो संस्थान ने भी माना है। अध्ययनरत छात्रों एवं पालकों ने बताया कि हिंदी, गणित सहित कुछ विषयों की पढ़ाई ही नही हुई है और अर्धवार्षिक परीक्षा लिया जा रहा है। ऐसे में ऊँची दुकान फीका पकवान वाली मुहावरा भी सच्च साबित होता दिख रहा है। वैसे भी हिंदी भाषीय प्रांतों में अंग्रेजी भाषा में पढ़ाई को लेकर लोगों में भूत चढ़ा हुआ है। स्कूलों को हिंदी माध्यम से अंग्रेजी माध्यम बना दिया गया है। छत्तीसगढ़ में मदर लेंगवेज छत्तीसगढ़ी है घर में सभी स्थानीय बोली पर आधारित हैं एक बच्चा अंग्रेजी माध्यम वाला हो गया। मानो घर में सभी को नीम के ऊपर करेला चढ़ गया है स्कूल के शिक्षा बदहली को लेकर पालक शिक्षा अधिकारी के पास भी जाकर बात रख चुके हैं। कोई सुधार नही हुआ है छात्रों से परीक्षा लिया जा रहा है।
बहरहाल अब देखने वाली बात ये है कि समाचार प्रकाशन के बाद सरकार जिला प्रशासन और विभाग कौन सी कदम उठाती है जिससे शिक्षकों की कमी दूर हो पालकों की शिकायत पर विद्यार्थियों को गुडवत्ता युक्त शिक्षा मिल सकेगा।